अक्षय कुमार और मानुषी छिल्लर अपनी फिल्म के प्मोशन के लिए काशी पहुंचे। आइए आज आपको
काशी की गंगा आरती का विशेष महत्व बताएं।
बॉलीवुड के खिलाड़ी कुमार और मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर की फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ 3 जून को रिलीज होगी। इसकी प्रमोशन के लिए अक्षय और मानुषी जुटे हुए हैं। आपको बता दें कि यह मानुषी छिल्लर की डेब्यू फिल्म है। अपनी फिल्म की प्रमोशन के लिए दोनों बाबा की नगरी काशी भी पहुंचे। काशी पहुंचकर दोनों ने गंगा आरती की और अपनी फिल्म की सफलता के लिए प्रार्थना की। प्रार्थना के बाद अक्षय कुमार ने गंगा में डुबकी भी लगाई। लेकिन दोनों प्रमोशन के लिए वाराणसी के दश्वामेशवमेध घाट ही क्यों पहुंचे?
आपको बता दें कि यहां की गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध है। बनारस को वैसे भी मुक्ति धाम के नाम से जाना जाता है। फिर यहां गंगा आरती का महत्व भी उतना ही खास माना जाता है। गंगा में डुबकी लगाने से न सिर्फ आपके कष्ट मिटते हैं, बल्कि आपके सारे पाप भी धुलते हैं। बनारस के दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती बड़ा महत्व रखती है। इसके पीछे का खास महत्व और कहानी के बारे में आइए आपको इस आर्टिकल में विस्तार से बताएं।
गंगा नदी की कहानी
भगीरथ इक्ष्वाकु वंश के एक महान राजा थे। वह गंगा नदी को स्वर्ग से पृथ्वी पर इसलिए लाए क्योंकि केवल गंगा ही भगीरथ के पूर्वजों को निर्वाण प्रदान कर सकती थीं, जिन्हें ऋषि कपिला ने श्राप दिया था। वर्षों की तपस्या के बाद, गंगा नदी पृथ्वी पर अवतरित हुई और भगवान शिव उनके प्रवाह को दिशा देने के लिए सहमत हुए। जिस स्थान से पवित्र नदी का उद्गम हुआ वह गंगोत्री के नाम से जाना जाता है। जब गंगा बहने लगी तो उस दौरान उन्होंने ऋषि जहांना के आश्रम को ध्वस्त कर दिया था। क्रोधित होकर ऋषि मुनि ने गंगा की आवाजाही रोक दी। लेकिन भगीरथ की प्रार्थना पर उन्हें मुक्त कर दिया था, इसलिए गंगा को जाह्नवी भी कहा जाता है।
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दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती
ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा ने इस शहर में शिव का स्वागत करने के लिए इस घाट का निर्माण किया था। दशाश्वमेध का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। बताया जाता है कि राज दिवोदास ने यहां 10 अश्वमेध यज्ञ किए थे,जिसकी वजह से इस घाट को यह नाम मिला। वैसे तो अस्सी घाट और अन्य घाटों पर भी गंगा आरती की जाती है, मगर दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती सबसे बड़ी और अहम होती है। विश्वनाथ मंदिर के पास, पवित्र दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती के दौरान लोगों का हुजूम घाट पर उमड़ने लगता है। प्रसिद्ध गंगा आरती हर दिन संध्या के प्रकाश के समय होती है और यह एक अविश्वसनीय रूप से चलने वाला समारोह है। घाट फूलों की महक और अगरबत्ती की महक से महकते हैं। कई पुजारी इस अनुष्ठान को दीपम लेकर और भजनों की लयबद्ध धुन में घुमाते हैं।
कैसे शुरू हुई दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती
इस आरती में हर दिन हजारों श्रद्धालुओं का मेला लगता है। यह आरती से आज से नहीं, बल्कि कई सालों से चली आ रही है। विश्वनाथ मंदिर से लगे दशाश्वमेध घाट पर इस आरती की शुरुआत आज से कुछ दशक पहले हुई थी। ऐसा माना जाता है कि इस विश्व प्रसिद्ध आरती को साल 1991 में शुरू किया गया था। पहले यह आरती देव दीपावली और गंगा दशहरा पर होती थी, लेकिन फिर इसे नियमित कर दिया गया था।
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क्या है गंगा आरती का महत्व?
गंगा आरती प्रतिदिन शाम को आयोजित की जाती है। मंगलवार और धार्मिक त्योहारों पर विशेष आरती की जाती है। यह लगभग 45 मिनट तक चलती है। गर्मियों में देर से सूर्यास्त के कारण शाम लगभग 7 बजे आरती शुरू होती है और सर्दियों में यह शाम लगभग 6 बजे शुरू होती है। ऐसा माना जाता है कि यहां गंगा आरती में शामिल होने से सारी मनोकामना पूरी होती है और पाप नष्ट होने के साथ नई दिशा मिलती है।
इसके अलावा गंगोत्री, हरिद्वार, ऋषिकेश आदि ऐसे कई जगहों पर गंगा आरती होती है, लेकिन काशी की गंगा आरती के दर्शन आपको एक बार जरूर करने चाहिए। हमें उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इसे लाइक और शेयर जरूर करें और ऐसे अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
Image Credit : Pallav Palliwal, Freepik & Unsplash
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